रविवार, 20 मार्च 2011

मेरा वजूद : a poem by my Student- Akanksha

कौन  हूँ मै
क्या  है मेरा  वजूद
बस मैं एक लड़की हूँ
और रीति रिवाज़ मेरा ताबूत
क्या घर  की चारदीवारी में
रहना है बस मेरा नसीब
या खोल पंख  सपनों  के
उड़  जाऊं और  पाऊँ सुकून
कैसे बताऊँ अपने अरमान
कैसे  दिखाऊँ अपने  ज़ज्बात 
कितना  भी कुछ  करके  दिखाएं 
हमारा  मूल्य  हमेशा  रहता  शून्य.
                                                          

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