"हठ अपनों का,
वियोग सपनों का,
बातें सभी की,
चर्चा दूसरों की,
अपना क्या,
उनका क्या?"
क्यों अलसाती हैं
दोपहरें
इन बातों में...
क्यों बुझ जाते हैं
दीपक
इन यादों में....
इन यादों को
बस रहने दो...
उन बातों को
मत कहने दो...
यादें तन्हा करती हैं...
क्यों आती हैं???
क्यों ना जाती हैं???
वियोग सपनों का,
बातें सभी की,
चर्चा दूसरों की,
अपना क्या,
उनका क्या?"
क्यों अलसाती हैं
दोपहरें
इन बातों में...
क्यों बुझ जाते हैं
दीपक
इन यादों में....
इन यादों को
बस रहने दो...
उन बातों को
मत कहने दो...
यादें तन्हा करती हैं...
क्यों आती हैं???
क्यों ना जाती हैं???